kavita
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रिश्तो में क्या रखा है –
आदम-जात का धोखा है ,
जुड़ना है गर रिश्ते संग
टूटन का दर्द सहना है ।।
रिश्ते है ख्वाब मानिंद –
आज सच कल धोखा है ,
ख़ुशी में छुपा वो दर्द
गम के पटल पर दीखता है ।।
सुकून है गुमनामी में-
रिश्ते का घाव रिस्ता है ,
नफरत औ प्यार का खिचड़ी बस-
पल-पल दर्द चुभोता है ।।
पर ये खट्टे रिश्ते भी-
मीठे फल दे जाते है,
कुछ मासूम-चंचल रिश्ते
जीने को उकसाते है ।।
कुछ उलझन ज़िन्दगी की
पल में ये सुलझाते है,
अपने-पराये से ये रिश्ते
जीने का मकसद दे जाते है ।।
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