kavita
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नूतन मनहरण किरण से त्रिभुवन को जगा दो
निहारूं तुम्हारे आँखों पर आये अपार करुणा को
नमन है निखिल चितचारिणी धरित्री को जो
नित्य नृत्य करे — नुपुर की ध्वनि को जगा दो
तुम्हे पूजूं हे देव-देवी कृपा दृष्टि रख दो
रागिनी की ध्वनी बजे आकाश नाद से भर दो
इस मन को निवेदित करूं मै तुम्हारे चरणों पर
प्रेम-रूप से भरी धरनी की पूजा मै कर लूं
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