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नूतन मनहरण …..

kavita
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नूतन मनहरण किरण से त्रिभुवन को जगा दो
निहारूं तुम्हारे आँखों पर आये अपार करुणा को

नमन है निखिल चितचारिणी धरित्री को जो
नित्य नृत्य करे — नुपुर की ध्वनि को जगा दो

तुम्हे पूजूं हे देव-देवी कृपा दृष्टि रख दो
रागिनी की ध्वनी बजे आकाश नाद से भर दो

इस मन को निवेदित करूं मै तुम्हारे चरणों पर
प्रेम-रूप से भरी धरनी की पूजा मै कर लूं

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