kavita
- 139 Posts
- 702 Comments
मुद्दत हुए हाल-ए-दिल
तुमसे बयान किये हुए
फुर्सत में,तन्हाई में
लम्हें ढूँढ़ते हुए
इश्क-सागर की गहराई
नापने चली थी मैं
पर तुम मिले –
गीली रेत पर कदमों के
निशाँ ढूँढ़ते हुए
आईने में अपना ही चेहरा
पराया सा नज़र आया
चंद भींगे लम्हों को मैंने
तकिये में है दबाया
मुद्दत हुई चाँद से
चंद बातें किये हुए
तारों की सरजमीं पे
रौशनी से नहाते हुए
Read Comments