kavita
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नेता कर ले चाहे बड़े-बड़े घोटाले
पशुओ को पड़े चाहे चारों के लाले
वतन हो जाए चाहे दुश्मनों के हवाले
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||
विदेशी सरकार चाहे देश को लूटे
भाषाई अखण्डता चाहे खंड-खंड टूटे
सरकारी नीति चाहे कहर बन टूटे
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||
महंगाई का मार हमने सहर्ष झेला
कुटीर उद्योगों को हमने कूएं में धकेला
प्राकृतिक उपादानो को यूं ही बेकार कर दिया
पर कुछ फर्क नहीं पड़ता ||
प्रशासन नेताओं की कठपुतली बन रह गयी
दबंगों की दबंगई जनता को बेहाल कर गयी
हत्यारों लुटेरों ने आतंकियों से नाता जोड़ लिया
सुन लो देश के तथाकथित आकाओं !!!!!!!
आम जनता को फर्क पड़ता है ||
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