Menu
blogid : 2387 postid : 305

रिश्तो को गहराने दो

kavita
kavita
  • 139 Posts
  • 702 Comments

धीरे धीरे रूहानी रिश्तो को गहराने दो
शाख से जुड़े कच्चे लम्हों को पक जाने दो

परिंदों का उड़ना ही था की पर काट दिए
चिंगारी को ज़रा सा उड़ने की खुमारी दे दो

लम्हे गिरेंगे शाख से जब पक जायेंगे ये कच्चे पल
संभालना है मुझे तारीखों में बसे पके हुए कल

फिर ये कैसा ठहराव है इस वीरान जिंदगानी में
इन प्यार के कतरों को दरियाई गहराई दे दो

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh