kavita
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पर्व फिर दीयों का आया
पुलकित हुआ ये मन ये काया
अंधकार था जो समाया
आलोकित हुआ जग सारा
आओ मिलकर खुशियाँ मनाएं
फुलझडियों से स्वागत-गीत गायें
खुशियों से भर दे धरती को
मन के तम को दूर भगाएं
एक शपथ ले हम सब मिलकर
आग पटाखों से संभलकर
खुशिओं को आज गले लगाएं
दिवाली की सबको शुभकामनाएं
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