Menu
blogid : 2387 postid : 273

नदी के पार

kavita
kavita
  • 139 Posts
  • 702 Comments

नदी के पार कोई गाता गीत
उस स्वर में बसा है मन का मीत
नदी की लहरों खेतों से उठकर
आती ध्वनि मन लेता जीत

होगा इस पार जो लेगा सुन
इस देहाती गानों का उधेड़-बुन
इन एकाकी गानों को सुनकर
मरकर भी जी लेगा पुन-पुन

भानु-चन्द्र का है आलिंगन
प्रकाश से भरा है लालिमांगन
इन गीतों ने छेड़ा है फिर से
राग-अनुराग का आलापन

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh