kavita
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रास्तों पर चौराहों पर
ये फटे पुराने चीथड़ों पर
ज़िन्दगी गुज़रती है जिनकी
ज़रा सुध ले लो उनकी
जहां खाने के पड़े लाले है
जहां पैरों पे पड़े छाले हैं
जिनके किस्मत पर पड़े ताले है
ज़रा बन जाओ उनकी कुंजी
मंदिर मस्जिद जो तोड़े हैं
गावों शहरों में बम फोड़े हैं
प्राणों पर संकट जो डाले हैं
ज़रा ले लो खबर उनकी
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