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जाने क्यों….

kavita
kavita
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जाने क्यों ये
दिल रोता है ,
जीवन में सब
कुछ धोखा है,
चुपके से आना
दिल में समाना-
महकती पवन
का झोंका है |

अनजान पल जो
ढल गए कल,
रंग बदल मन-
को गए छल,
वक्त के साथ
रहे है गल,
बेवफाई ये
अपनों का है |

राह वही,
वही है सफ़र ,
तेरा साथ
नहीं है मगर ,
बिन तेरे-
मेरे हमसफ़र
टूटा सपनों का
झरोखा है

जाने क्यों ये
दिल रोता है ,
जीवन में सब कुछ
धोखा है,

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