kavita
- 139 Posts
- 702 Comments
डूबा दिन ढल गयी शाम ,रोक न पाऊँ मैं
आकाश सज गए तारों से ,कदम बढाऊँ मै
घोर घनघटा नहीं चांदनी , न रोशनी तारों की
उतावला मन बिखरा पल , उठे मन में विचारें भी
न हो ये शाम रात बदनाम , दिल बरबस तनहा
मन बेचैन…सगरी रैन कब होवे सुबहा
जाने क्या दिन का राज़ , उत्फुल्ल है मन
रोशन है जग सारा ,हुआ मन रोशन
Read Comments