kavita
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मैं हूँ और मेरे साथ है मेरा दिल दीवाना
ये भी जालिम कभी कभी बनता बेगाना
साकिओं मैंखानो में बस तू ही तू है
ख़्वाबों की जहां में भी तेरी आरज़ू है
इस कमबख्त दिल को तूने लूट लिया
रिश्ता तुमने मुझसे आखिर जोड़ लिया
जाने किस घडी में मैं जो बना दीवाना
तुमने भी उस घडी से नाता जोड़ लिया
अब इस जालिम दिल पर मेरा बस नहीं चलता
तेरा मेरा रिश्ता जाहिर हो ही गया
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