kavita
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स्मृतियों के दलदल में
यादों के गुलशन में
सपनो के महफ़िल में
नाम तेरा ही छुपा है
नक्षत्रों के अक्ष पर
मैंने अपने वक्ष पर
धरा ने अपने कक्ष पर
नाम तेरा ही लिखा है
सूरज के किरणों में
चंदा के चांदनी में
तारों के रोशनाई में
नाम तेरा ही रोशन है
चढ़कर समय रथ पर
फूलों से सजे पथ पर
हाथ पर हाथ धरकर
पी के संग जाना है
मुड़कर न देखूं मै
जो बढ़ाये कदम मैंने
जन्मो का बंधन है
संग संग जीना है
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