kavita
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वक्त बेवक्त तेरा आना अच्छा लगता है
यादों के सागर में डूबना अच्छा लगता है
चुटकियों में दिन गुज़रकर शाम जो हो जाती है
तेरी यादों में तारे गिनना भी अच्छा लगता है ||
ये यादें भी बेमुरव्वत बेवफा होती है
कभी आती है तो कभी गुम हो जाती है
नफरत है तेरी यादों से जो रुला जाए बार बार
पर मरहम भी तो दिल को तेरी याद ही लगाती है ||
वजह यही है तेरी यादों को सजोने का
एक बेवफा के प्यार को ज़ुदा न करने का
रौशनी तले अँधेरा है ये मेरा दिल भी जाने
पर कोशिश है अँधेरे में दिया जलाने का ||
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