kavita
- 139 Posts
- 702 Comments
तन्हाइयों में रोकर दिल बहलाते है
बिखरे ग़म को सिलकर ग़ज़ल बनाते है
यादें जो तुमसे है जुड़ी वो अक्सर छेड़ जाते है
तेरी यादों के बज़्म में हम खो जाते है
शबनम का कतरा….. दरिया बनाती है
आस तुमसे मिलने की किनारा दिखाती है
शबनम के कतरे को यूं बेकार न समझो
इस नासूर दिल को ये मरहम लगाती है
Read Comments