kavita
- 139 Posts
- 702 Comments
मन कोयला बन जल राख हुई
धूआं उठा जब इस दिल से
नाम तेरा ही लिखा फिर भी
हवा में, बड़े जतन से
तेरी याद मन के कोने से
रह-रह कर दिल को भर जाए
जिन आँखों में बसते थे तुम
उन आँखों को रुला जाए
जाने क्यों दिल की बस्ती में
है आग लगी ,दिल जाने ना,
पूछ न हाल इस दिलजले का
जलता जाए बुझ पाए ना
Read Comments