kavita
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साजन तुम कब आओगे
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तुम्हारे कदमो की हल्की सी आहट से
ये दिल परेशां हुआ
टूट न जाए ये प्यार के धागे
मतवारा ये प्यार हुआ
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तुम कब समझ पाओगे
साजन तुम कब आओगे
.
चाहे सांझ हो या चाहे सवेरा
ये मन धडका जाए
तुम तो सजन नींदों से सोये
हाय! मुझे नींद न आये
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तुमने प्यार छुपाया लेकिन
मुझ से न छुप पाया
मेरे मन की अन्धकार में
प्यार का दीया जलाया
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सावन की बदरी तुम बनकर
कब मन को तर जाओगे
साजन तुम कब आओगे
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