kavita
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इस मलिन देह में ईश्वर का वास हो कैसे
झूठ-कपट भरे जिह्वा से ईश्वर का नाम हो कैसे
प्रपंचों में पडा इस मन से ईश्वर का ध्यान हो कैसे
बुराई को देखती इन नयनो से ईश्वर दर्शन हो कैसे
अपशब्द से भरा इस कंठ से ईश-भजन हो कैसे
हे ईश्वर !मोह माया से ग्रसित इस तन से
स्वर्ग सिधारन हो कैसे
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