kavita
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सुन्दर ये मुखड़ा
चाँद का टुकडा
नयन विशाल है
अधर कोमल
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कटिबंध अनुपम
वलय निरूपम
कही है हीरक
कही कंचन
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नुपुर से सज्जित-
पग है, राजित –
घुंगर की ध्वनि
मृदु मद्धिम
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स्वर्णिम ये काया
मन में समाया
नायिका सी
सुन्दर है चलन
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