kavita
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सुनकर तेरी बंसी की धुन
मत्त हुआ ये बावरा मन
आज प्रभात की बेला में
तेरा ये मधुर सुर सुन
खोल कर रख दिया ये मन
ये अंतर्मन तुझे समर्पण
प्रकाश पुंज से उद्वेलित समीरन
तेरे सुर की लीला है नवीन
बजे शरद की आकाशवीणा
माला बना लूं पिरोकर वो धुन
तुझे समर्पित है जीवन मम
प्रकाश तेरा है निरुपम
भोर की पक्षी भी करे गुंजन
तुम्हारी धुन को मेरा वंदन
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