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देश-दशा

kavita
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रक्त-रंजित ये देश कैसे ये तरुण – अरुण भयभीत कैसे
नारी अस्मिता संकट में कैसे इन प्रश्नों के उत्तर कहाँ

राज नेतायों के प्रपंच कैसे बढे अपराधिओं के हिम्मत है कैसे
ये संस्कारों का ह्रास कैसे इन प्रश्नों के उत्तर कहाँ

ये सृजन शक्ति का अपमान कैसा ये सभ्यता का परिहास कैसा
दायित्व ये हमारा ही है चेतना जगाएं हम यहाँ

इन सवालों का जवाब देश के जो है नवाब
यदि उनमे जागृत हो सतर्कता तो डर नहीं है क्यों ज़नाब ?

हम आत्मा मंथन तो करें देखे तो अपना योगदान
अपने को जागृत करके ही गढे हम नया हिन्दोस्ताँ

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