Menu
blogid : 2387 postid : 37

छोटा सा,एक रत्ती ,चूहा……………

kavita
kavita
  • 139 Posts
  • 702 Comments

छोटा सा,एक रत्ती ,चूहा एक नन्हा
आँखे अभी खुली नही एकदम काना

टूटा एक दराज का जाली से भरा कोने में
माँ के सीने से चिपक कर उनकी बाते सुने रे

जैसे ही उसकी बंद आँखे खुली दराज के अन्दर
देखा बंद है कमरा उसका लकड़ी का है चद्दर

खोलकर अपने गोल-गोल आँखे देख दराज को बोला
बाप रे बाप!ये धरती सचमुच है कितना ss बड़ा

कवी सुकुमार राय द्वारा रचित कविता का अनुवाद

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to roshniCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh